
साल भर पहले आज ही के दिन देश के इतिहास के बड़े कारपोरेट घोटालों में से एक सत्यम काड उजागर हुआ था। इसके झटके से हर कोई हिल गया था। सत्यम घोटाला जब सामने आया तो उसके कुछ दिनों बाद तो सरकारी स्तर पर तमाम तरह की बयानबाजी हुई कि उन सारी गड़बड़ियों को दूर कर लिया जाएगा, जिस वजह से इतना बड़ा घोटाला संभव हो पाया। पर साल भर बाद भी वे मसले जहा के तहा उसी रूप में पड़े हुए हैं।
दरअसल, सत्यम के प्रवर्तक और अध्यक्ष रहे बी. रामलिंगा राजू कई सालों से सत्यम कंप्यूटर के खाते में बैलेंस और मुनाफे को बढ़ा-चढ़ाकर दिखा रहा था। इस पर परदा डालने के लिए उसने 1.6 अरब डालर में खुद के परिवार की स्वामित्व वाली दो इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनियों को खरीदने की कोशिश की, लेकिन अंदरूनी विरोध के कारण ऐसा हो नहीं पाया और अमेरिकी बाजार में कंपनी के शेयरों में 55 फीसदी तक की गिरावट आई।
इस काम में असफल रहने के बाद राजू से जब झूठ छुपाए नहीं छुपा तो उसने सात जनवरी 2009 को कंपनी से इस्तीफा देते हुए लिखे गए पत्र में अपने काले कारनामों को उजागर किया और तकरीबन 7,136 करोड़ रुपये के घोटाले की बात सामने आई। खाते में दिखाए गए 5,361 करोड़ रुपये में से 5,040 करोड़ रुपये कहीं थे ही नहीं। इस पर ब्याज के तौर पर 376 करोड़ की फर्जी रकम को दिखाया गया।
इस्तीफा देते वक्त राजू ने जो पत्र लिखा था, उसमें उसने स्वीकार किया कि घपला सालों से चल रहा था। जाच के बाद सीबीआई ने जो चार्जशीट दाखिल की है, उसमें कहा गया है कि सत्यम घोटाला तकरीबन 14,000 करोड़ रुपये का है