Wednesday, September 22, 2010

जागरूकता की जरुरत अशलीलता की नहीं

जैसा की हम सब जानते है की जनसख्या वृधि पर अंकुश लगाने के लिए टी. वि सिनेमा से लेकर पत्रिकाओ तक में तरह-तरह के उपाय बताये जाते है I इसके बावजूद जनसख्या कम होने के बजाए लगातार बढती जा रही है जबकि सच्चाई यह है की पूरे देश में आज भी सैकड़ो भ्रूण हत्याए भी प्रतिदिन होती है I
इसके बाद भी देश की जनसख्या जिस तीव्र गति से बढ़ रही है उसको देखते
हुए इस बात से इंकार नही किया जा सकता की परिवार नियोजन के लिए जो भी उपाय
अपनाय गये है सब निष्प्रभावी साबित हो रहे है I किसी भी प्रचार-प्रसार के
नाम पर इतनी अशलीलता परोसी जा रही है जिसका कोइ जवाब नही I इस्थ्ती तब
विचित्र हो जाती है जब परिवार के साथ बैठकर आप टी .वि देख रहे होते है I
परिवार नियोजन के विज्ञापन इतने गंदे तरीके से परोसे जाते है की लोगो को
टी .वि स्क्रीन से नजरे हटाना पड़ता है I इस्थ्ती तब और बतर हो जाती है
जब आप का नादान बच्चा आपसे उस विज्ञापन के विषय में कुछ विचित्र सा प्रश्न
पूछ लेता है और आप जवाब नही दे पाते I सभी विज्ञापन विभाग को चाहिए की
विज्ञापन ऐसे बनाए जिससे जागरूकता फैले अशलीलता नही
I

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